Sunday, January 24, 2010

बसन्त पंचमी के दिन को हम राष्ट्रीय अवधी दिवस की तरह क्यों न मनायें।

इसी दिन अवधी सम्राट पं० बशीधर शुक्ल का जन्म हुआ था। आजादी के इस नायक ने ही सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फ़ौज को लांग मार्च गीत दिया...कदम कदम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा। इन्ही के उस गीत की आवाज ने करोड़ों हिन्दुस्तानियों को सदियों की नीद से जगाने का काम किया....उठो सोने वालों सबेरा हुआ है............एक और गीत जिसे साबरमती आश्रम की भोर प्रार्थना बनाया गया...उठ जाग मुसाफ़िर भोर भई, अब रैन कहां जो सोवत है।

अवधी भाषा में उनकी कवितायें समाज के सभी वर्गों का और प्रकृति के सभी पहुलुओं को छूती ही नही है वरन उनकी पीड़ा और खूबसूरती का सजीव चित्रण किया है। यहां मैं अपना एक लेख जो अमृत वर्षा दैनिक नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ, जिसकी कतरन यहां चिपका रहा हूं। ताकि तराई के जनपद के इस भाषा मर्मग्य व स्वतंत्रता सेनानी से आप सब परिचित हो सके।